Saturday, August 20, 2016

Shri Hanumat Trikal Smaranam श्रीहनुमत् त्रिकाल स्मरणम्


Shri Hanumat Trikal Smaranam 
Shri Hanumat Trikal Smaranam is in Sanskrit. It is a prayer of Hanuman in the morning, in the afternoon and in the evening by the devotee. Devotee how remembers God Hanuman three times a day is described here.
श्रीहनुमत् त्रिकाल स्मरणम्
प्रातः स्मरामि हनुमन्तमनन्तवीर्यं 
श्रीरामचन्द्र चरणाम्बुजजचञ्चरीकम् ।
लङ्कापुरीदहननन्दितदेववृन्दं 
सर्वार्थसिद्धिसदनं प्रथितप्रभावम् ॥ १ ॥
माध्यं नमामि वृजिनार्णवतारणैकाधारं
शरण्यमुदितानुपमप्रभवम् ।
सीताऽऽधिसिन्धुपरिशोषणकर्मदक्षं 
वन्दारुकल्पतरुमव्ययमाञ्जनेयम् ॥ २ ॥
सायं भजामि शरणोपसृताखिलार्ति
पुञ्जप्रणाशनविधौ प्रथितप्रतापम् ।
अक्षान्तकं सकलराक्षसवंशधूमकेतुं 
प्रमोदितविदेहसुतं दयालुम् ॥ ३ ॥
॥ इति श्रीहनुमत् त्रिकाल स्मरणम् संपूर्णम् ॥
हिंदी अर्थ (आभार-श्रीहनुमान अङ्क कल्याण गीताप्रेस गोरखपुर )
१) जो श्रीरामचन्द्रजीके चरण-कमलोंके भ्रमर हैं, जिन्होंने लंकापुरीको दग्ध करके देवगणको आनन्द प्रदान किया है, जो सम्पूर्ण अर्थ सिद्धियोंके आगार और लोकविश्रुत प्रभावशाली हैं, उन अनन्त पराक्रमशील हनुमानजीका मैं प्रातःकालमे स्मरण करता हूँ ।
२) जो भवसागरसे उद्धार करनेके एकमात्र साधन और शरणागतके पालक हैं, जिनका अनुपम प्रभाव लोकविख्यात है, जो सिताजीकी मानसिक पीडारुपी सिन्धुके शोषण कार्यमें परम प्रवीण और वन्दना करनेवालोंके लिये कल्पवृक्ष हैं, उन अविनाशी अञ्जनानन्दन हनुमानजीको मैं मध्याह्नकालमें प्रणाम करता हूँ ।

३) शरणागतोंके सम्पूर्ण दुःखसमूहका विनाश करनेमें जिनका प्रताप लोक-प्रसिद्ध है, जो अक्षकुमारका वध करनेवाले और समस्त राक्षसवंशके लिये धूमकेतु हैं एवं जिन्होंने विदेहनन्दिनी सीताजीको आनन्द प्रदान किया है, उन दयालु हनुमानजीका मैं सायंकालमे भजन करता हूँ ।  
Shri Hanumat Trikal Smaranam 
श्रीहनुमत् त्रिकाल स्मरणम्


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