Shri RadhaKrutam GaneshStotram
श्रीराधाकृतं गणेशस्तोत्रम्
श्रीराधिकोवाच
परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमीश्र्वरम् ।
विघ्ननिघ्नकरं शान्तं पुष्टं कान्तमनन्तकम् ॥ १ ॥
सुरासुरेन्द्रैः सिद्धेन्द्रैः स्तुतं स्तौमि परात्परम् ।
सुरपद्मदिनेशं च गणेशं मङ्गलायनम् ॥ २ ॥
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परम् ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय सर्वविघ्नात् प्रमुच्यते ॥ ३ ॥
॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते श्रीराधाकृतं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
( श्रीकृष्णजन्मखण्ड १२२्१०३-१०५ )
हिंदी अनुवाद
श्रीराधिकाने कहा-- जो परम धाम, परब्रह्म, परेश, परमेश्र्वर, विघ्नोंके विनाशक, शान्त, पुष्ट, मनोहर और अनन्त हैं; प्रधान-प्रधान सुर और असुर जिनका स्तवन करते हैं; जो देवरुपी कमलके लिये सूर्य और मङ्गलोंके आश्रय-स्थान हैं; उन परात्पर गणेशकी मैं स्तुति करती हूँ । यह उत्तम स्तोत्र महान् पुण्यमय तथा विघ्न और शोकको हरनेवाला है । जो प्रातःकाल उठकर इसका पाठ करता है, वह सम्पूर्ण विघ्नोंसे विमुक्त हो जाता है ।
Shri RadhaKrutam GaneshStotram श्रीराधाकृतं गणेशस्तोत्रम्
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