Surya Gayatri is God Surya prayer.
अथ सूर्यगायत्री
ॐ भास्कराय विद्महे । महातेजसे धीमहि ।
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
अथ करन्यासः
ॐ भास्कराय अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ विद्महे तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ दिवाकराय मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ धीमहि अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ तन्नः सूर्यः कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ प्रचोदयात् करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
अथ अंगन्यासः
ॐ भास्कराय हृदयाय नमः ।
ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।
ॐ दिवाकराय शिखायै वषट् ।
ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।
ॐ तन्नः सूर्यः नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ प्रचोदयात् अस्त्राय फट् ।
अथ सूर्यगायत्री मंत्रः
ॐ हृां हृीं र्हूं र्हैं र्हौं र्हंः सूर्यविष्णुतेजसे
ज्वालामणि कुंडलिने स्वाहा ।
इति सूर्यगायत्री ॥
अथ सूर्यगायत्री
प्रकाशदेवके निमित्त ज्ञान प्राप्त करते हैं,
महातेजसका ध्यान करते हैं,
वह सूर्यदेव हमारी बुद्धियोको सत्कार्यमे प्रेरणा करे।
अब करन्यास कहते हैं-
ॐ भास्करायसे अंगुष्ठ, विद्महेसे तर्जनी,
दिवाकरायसे मध्यमा, धीमहिसे अनामिका,
तन्नः सूर्यःसे कनिष्ठिका, प्रचोदयात्से करतलकरपृष्ठ
स्पर्श करे ।
अब अंगन्यास कहते हैं
ॐ भास्करायसे हृदय, विद्महेसे शिर,
दिवाकरायसे शिखा, धीमहिसे कवच,
तन्नः सूर्यःसे नेत्रत्रय, प्रचोदयात्से अस्त्रमुद्रा करे ।
अब सूर्यगायत्री मंत्र कहते है
ॐ हृां हृीं र्हूं र्हैं र्हौं र्हंः सूर्यदेव विष्णुके तेज ज्वाला
मणिकुण्डल धारण करनेवालेके निमित्त स्वाहा ॥
इति सूर्य गायत्री ॥
Surya Gayatri
अथ सूर्यगायत्री
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