Saturday, September 10, 2016

Radhakrutam ShriGanesh Stotram राधाकृतं गणेश स्तोत्रम्


Radhakrutam ShriGanesh Stotram 
Radhakrutam ShriGanesh Stotram is in Sanskrit. It is created by Radha. She worshiped, prayed and performs Pooja and requested God Ganesh to remove all difficulties was there in between her and God Krishna. This stotra is pious and removes all troubles/difficulties of the devotee who recites it early in the morning.
राधाकृतं गणेश स्तोत्रम्
अथ ध्यानं
खर्वं लम्बोदरं स्थूलं ज्वलन्तं ब्रह्मतेजसा ।
गजवक्त्रं वह्निवर्णमेकदन्तमनन्तकम् ॥ १ ॥
सिद्धानां योगिनामेव ज्ञानिनां च गुरोर्गुरुम् ।
ध्यातं मुनीन्द्रैर्दैवेन्द्रैर्ब्रह्मेशशेषसंज्ञकैः ॥ २ ॥
सिद्धेन्द्रैर्मुनिभिः सद्धिर्भगवन्तं सनातनम् ।
ब्रह्मस्वरुपं परमं मङ्गलं मङ्गलालयम् ॥ ३ ॥
सर्वविघ्नहरं शान्तं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
भवाब्धिमायापोतेन कर्णधारं च कर्मिणाम् ॥ ४ ॥   
शरणागतदिनार्तपरित्राणपरायणम् ।
ध्यायेद् ध्यानात्मकं साध्वं भक्तेशं भक्तवत्सलम् ॥ ५ ॥
इति ध्यानम् 
स्तोत्र
परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमीश्र्वरम् ।
विघ्ननिघ्नकरं शान्तं पुष्टं कान्तमनन्तकम् ॥ १ ॥
सुरासुरेन्द्रैः सिद्धेन्द्रैः स्तुतं स्तौमि परात्परम् ।
सुरपद्मदिनेशं च गणेशं मङ्गलायनम् ॥ २ ॥
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परम् ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय सर्वविघ्नात् प्रमुच्यते ॥ ३ ॥ 
॥ इति श्रीब्रह्मविवर्ते श्रीकृष्णजन्मखंडे श्रीराधाकृतम् गणेशस्तोत्रम् संपूर्णम् ॥  
हिंदी अनुवाद (कल्याण श्रीगणेश-अङ्क )
जो छोटे कदवाले, लम्बोदर, स्थूलकाय, ब्रह्मतेजसे उद्भासित, गजमुख, अग्नितुल्य कान्तिमान्, एकदन्त, और अनन्त हैं; जो सिद्धों, योगियों और ज्ञानियोके गुरुके गुरु हैं, ब्रह्मा, शिव, और शेष आदि देवेन्द्र, मुनीन्द्र, सिद्धेन्द्र, मुनिगण तथा संतलोग जिनका ध्यान करते हैं; जो ऐश्र्वर्यशाली, सनातन, ब्रह्मस्वरुप, परम मङ्गल, मङ्गलके स्थान, सम्पूर्ण विघ्नोंको हरनेवाले, शान्त, सम्पूर्ण सम्पत्तियोंके दाता, कर्मयोगियोके लिये भव-सागरमें मायारुपी जहाजके कर्णधारस्वरुप, शरणागत-दीन-दुःखीकी रक्षामें तत्पर, ध्यानरुप, साधना करनेयोग्य, भक्तोंके स्वामी और भक्तवत्सल हैं, उन गणेशका ध्यान करना चाहिये ।    
जो परमधाम, परब्रह्म, परेश, परम ईश्र्वर, विघ्नोंके विनाशक, शान्त, पुष्ट, मनोहर और अनन्त हैम, प्रधान-प्रधान सुर-असुर तथा सिद्धेन्द्र जिनका स्तवन करते हैं, जो देवरुपी कमलके लिये सूर्य और मङ्गलोंके आश्रयस्थान हैं, परात्पर गणेशकी मैं स्तुति करती हूँ । यह स्तोत्र परम पुण्यशाली है, सुबह जल्दी उठकर इसका पाठ करनेपर सब विघ्न नष्ट हो जाते है ।
राधेने श्रीकृष्ण तीला प्राप्त व्हावा व यामध्ये तीच्या इच्छेच्या आड येणार्‍या सर्व विघ्नांचा नाश व्हावा या इच्छेने सिद्धाश्रमामध्ये विधिवत संकल्पकरुन भालचंद्र गजाननाची सामवेदोक्त प्रकाराने ध्यान, पूजा केली. नंतर 

" ॐ गं गौं गणपतये विघ्नविनाशिने स्वाहा "  ह्या कल्पतरुसम महामंत्राचा एक सहस्त्र जप केला व ह्या गणेश स्तोत्राने श्रीगणेशाची स्तुती केली. श्रीगणेशांनी प्रसन्न होऊन तीला वर दिला.   
Radhakrutam ShriGanesh Stotram
राधाकृतं गणेश स्तोत्रम्


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2 comments:

Sumohini said...


कृपया घ्यान दें:
सिद्धेन्द्रैः टाइप होना छूट गया है...

ऐसे होना चाहिए:

सुरासुरेन्द्रैः सिद्धेन्द्रैः स्तुतं स्तौमि परात्परम् ।
सुरपद्मदिनेशं च गणेशं मङ्गलायनम् ॥ २ ॥

कमी निकालने के लिए नहीं लिखा, सबको सही स्तोत्र पढ़ने को मिले, यही उद्देश्य है...
🙏🙏

Unknown said...

बहुत अच्छी धारना है